“रात भर कम्प्यूटर पर बैठकर क्या किया जी?” …पत्नी ने सुबह-सुबह जगा कर पूछा।
“क्या मतलब?” मैं आँखे मलते हुए उठ बैठा।
“कोई नयी पोस्ट तो दिख नहीं रही है!” रातभर खटर-पटर का नतीजा सिफ़र…!
“हिन्दुस्तानी एकेडमी का काम कर रहा था।” मैने बताया।
ये कौन सा नया काम शुरू कर दिया? सत्यार्थमित्र क्या कम था, जो एक और नया ब्लॉग…
अरे यार, ये मेरा ब्लॉग नहीं है। इसको तो बस शुरू किया है मैने… इसमें लिखने वाले और दूसरे लोग होंगे। यह एक बड़ा प्रोजेक्ट है,… अगर चल निकला तो…
“तो… फिर आपने दो बजे तक किया क्या?”
मैने इसका नया ब्लॉग बना दिया है… और पहली पोस्ट लिखकर डाल दी है… बस।
“अच्छा; …अब आगे?”
“आगे की वो जानें, जिन्हें हिन्दी से प्यार है, लगाव है, या कहें इसके लिए एक जुनून है… अब तो वे ही इसे आगे बढ़ाएंगे…”
“चलिए हमारी भी शुभकामनाएं, इस सामूहिक प्रयास की सफलता के लिए…। …लेकिन ये हिन्दुस्तानी एकेडमी है क्या?”
“सब कुछ जानना है तो उस ब्लॉग पर जाने का कष्ट करो जी… धीरे-धीरे सब पता चल जाएगा। …अभी तो बस शुरुआत है|”
तो मित्रों, ये है संवाद आज अलस्सुबह का। पिछले चार पाँच दिनों से ब्रॉडबैण्ड ने इतना दुःखी कर रखा था कि कम्प्यूटर पर बैठना सम्भव नहीं हो पा रहा था। न कोई पोस्ट, ना कोई टिप्पणी… बस डायल करते जाइए, लिंक फेल का फेल ही रहा। अन्ततः जब कल शाम लाइन ठीक हुई तो रात भर का प्रोग्रॉम बना डाला। सोचा था ढेर सारी पोस्टें पढ़ूंगा, गूगल रीडर में लगा लम्बा जाम हटाऊँगा, खूब टिप्पणियाँ लिखूंगा, और मौका मिला तो नयी पोस्ट का सूखा भी दूर करूंगा…।
…लेकिन मैने रात भर जो किया, उसमें यह कुछ भी नहीं हो सका। फिरभी मुझे अफ़सोस नहीं है, क्योंकि हिन्दुस्तानी एकेडेमी को आप लोगों के बीच लाकर मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है। अलबत्ता तकनीकी कौशल की कमीं से अभी वहाँ बहुत कुछ किया जाना शेष है जिसके लिए आप सभी का सहयोग अपेक्षित है।
तो देर किस बात की… दोनो हाथों से स्वागत कीजिए इस गौरवपूर्ण संस्था के नये कदम का…।
Gyandutt Pandey
सितम्बर 13, 2008 @ 10:15:00
यह बहुत अच्छा है। होने वाले विभिन्न व्याख्यानों/गोष्ठियों की अग्रिम जानकारी ब्लॉग पर मिले तो इलाहाबादी लोग फायदा ले सकते हैं। त्रैमासिक पत्रिका के मुख्य अंश उपलब्ध करवयें पोस्टों के माध्यम से।आपके उत्साह में उत्तरोत्तर बढ़ोतरी हो! अच्छा मिशन लिया है आपने!
प्रभाकर पाण्डेय
सितम्बर 13, 2008 @ 11:38:00
बहुत ही सुंदरतम और सराहनीय प्रयास। हमारी शुभकामनाएँ।
कविता वाचक्नवी
सितम्बर 14, 2008 @ 18:27:00
बधाई! नेक प्रयास!
हर्षवर्धन
सितम्बर 14, 2008 @ 19:45:00
सिद्धार्थजी बहुत अच्छा काम किया है आपने। कोशिश करके कुछ सहभागिता भी करूंगा।
अभिषेक ओझा
सितम्बर 14, 2008 @ 21:43:00
अभी देखे आते हैं.
सचिन मिश्रा
सितम्बर 14, 2008 @ 23:21:00
बहुत-बहुत बधाई.
Arvind Mishra
सितम्बर 15, 2008 @ 08:07:00
बहुत नेक काम ,मेरी शुभकामनाएं !
डॉ .अनुराग
सितम्बर 16, 2008 @ 20:02:00
जरूर ..बधाई…..
जितेन्द़ भगत
सितम्बर 16, 2008 @ 23:11:00
आपको हार्दिक शुभकामनाऍं।
pallavi trivedi
सितम्बर 18, 2008 @ 18:03:00
बधाई एवं शुभकामनाएं….अच्छी कोशिश है!
निरन्तर - महेंद्र मिश्रा
सितम्बर 18, 2008 @ 19:57:00
bahut hi umda sarahaniy prayas hai . swagat hai blaag jagat me .
Udan Tashtari
सितम्बर 19, 2008 @ 07:33:00
बधाई एवं शुभकामनाएं….