मुखपृष्ठ सत्यार्थमित्र... आज स्वतन्त्रता दिवस है, और आज मेरी पुस्तक प्रेस से छूटकर मेरे घर आ गयी है। हिन्दुस्तानी एकेडेमी ने इसे छापकर निश्चित रूप से एक नयी शुरुआत की है। कहना न होगा कि आज मैं बहुत प्रसन्न हूँ।

ब्लॉग की किताब छापना व्यावसायिक रूप से कितना उपयोगी है इसका पता शायद इस किताब पर पाठकों की प्रतिक्रिया से पता चलेगा। अलबत्ता जिस संस्था ने इसका प्रकाशन किया है, उसके पास अपने उत्पादों के विपणन का कोई नेटवर्क नहीं है। पुराने जमाने में देश भर के लब्ध प्रतिष्ठ साहित्यकार यहाँ आते रहते थे और एकेडेमी के बिक्री काउण्टर पर उपलब्ध प्रकाशनों को खरीदते थे और अपने शहर जाकर इसके बारे में बताते थे। इसप्रकार यहाँ की धीर गम्भीर, व शोधपरक पुस्तकें धीरे-धीरे लम्बे समय में बिकती थीं। कुछ खरीद सरकारी पुस्तकालयों द्वारा की जाती थी।

पहली बार लोकप्रिय श्रेणी की एक ऐसी हल्की-फुल्की पुस्तक प्रकाशित हुई है जिसे आमपाठक वर्ग को आकर्षित करने के उद्देश्य से तैयार किया गया है। लेकिन आम पाठकों तक इसे पहुँचाने का सही माध्यम क्या है, इसकी जानकारी हमें नहीं है। एकेडेमी द्वारा भी इस दिशा में कोई स्पष्ट व सुविचारित नीति अपनाये जाने का उदाहरण नहीं मिला है।

अतः मैं यहाँ अपने शुभेच्छुओं, मित्रों और वरिष्ठ चिठ्ठाकारों से अनुरोध करता हूँ कि वे इस सद्यःप्रकाशित ब्लॉग की किताब के प्रचार-प्रसार और बिक्री के कारगर उपाय सुजाने का कष्ट करें।

सत्यार्थमित्र आवरणसत्यार्थमित्र पुस्तक का आवरण 

इस पुस्तक में मेरे ब्लॉग सत्यार्थमित्र पर प्रकाशित अप्रैल-२००८ से मार्च-२००९ तक की कुल १०१ पोस्टों में से चयनित ६५ पोस्टें संकलित की गयी हैं। प्रत्येक पोस्ट के अन्त में कुछ चुनिन्दा टिप्पणियों के अंश भी दिये गये हैं। ऐसी टिप्पणियों को स्थान दिया गया है जिनसे कोई नयी बात विषयवस्तु में जुड़ती हो।

पुस्तक के अन्त में दिए गये परिशिष्ट में हिन्दी ब्लॉगजगत के सर्वाधिक सक्रिय ४० चिठ्ठों का नाम-पता दिया गया है जिनका सक्रियता क्रमांक चिठ्ठाजगत द्वारा निर्धारित है।

कुल २८८ पृष्ठों के इस सजिल्द संस्करण का बिक्री मूल्य रु.१९५/- मात्र रखा गया है। इसपर एकेडेमी की नीति के अनुसार छूट की व्यवस्था भी है।

तो देर किस बात की… आइए प्रिण्ट माध्यम में हिन्दी ब्लॉगजगत का एक झरोखा खोलने के इस अनुष्ठान में अपना भरपूर योगदान करें। इसके बारे में उन्हें बतायें जो अभी अन्तर्जाल की सुविधा से नहीं जुड़ सके हैं। पुस्तक प्राप्त करने का तरीका हिन्दुस्तानी एकेडेमी के जाल पते पर उपलब्ध है।

(सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी)