रात को सवा दस बजे सोफ़े पर लेटे हुए जी-टीवी पर १२/२४ करोल बाग के काण्ड देख रहा था। चूँकि लेटकर ब्लॉगरी नहीं कर सकता इसलिए शाम को एक घण्टा इसी प्रकार टीवी देखना अच्छा लगता है। तो ऑफिस और गृहस्थी के कामों की थकान मिटा ही रहा था कि फोन पर सूचना मिली कि ज्ञानजी के लिए एम्बुलेन्स मंगायी गयी है और वे रेलवे अस्पताल की राह पर हैं। उनके बाएं हाथ में लकवा की शिकायत पायी गयी है। मैंने झट से जीन्स डाला और पैर में हवाई चप्पल फटकारते हुए गाड़ी की चाबी लेकर गैरेज की ओर चल दिया। श्रीमती जी पीछे-पीछे कारण जानने को बढ़ लीं। उन्हें संक्षेप में सूचना देकर मैं चल पड़ा। पाँच मिनट में अस्पताल के भीतर…।
बाहर से लेकर भीतर तक शुभचिन्तकों और रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों का जमावड़ा हो चुका था। मेरा मन धक् से हुआ। एक आदमी ने बताया कि पाण्डे जी आई.सी.यू. में भर्ती हैं। मैंने दिल कड़ा करके भीतर प्रवेश किया। आदरणीया रीता जी से आँखें मिली। मुझे अचानक वहाँ देखकर वे चकित हुईं, फिर प्रसन्न सी मुद्रा में अभिवादन किया। मेरा मन तुरन्त हल्का हो गया। मैने चप्पल उतारकर गहन चिकित्सा कक्ष में प्रवेश कर लिया था, जिसके भीतर आठ-दस लोग पहले से ही थे। माहौल में कोई चिन्ताजनक छाया नहीं दिखी तो मैंने ज्ञानजी को मुस्कराकर प्रणाम किया। फिर उनके बायें हाथ में अपना हाथ थमाया। उन्होंने हाथ दबाकर यह जताया कि सबकुछ ठीक से काम कर रहा है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने निर्णय लिया कि सी.टी.स्कैन अभी करा लिया जाय ताकि चिन्ता की कोई बात न रहे। एम्बुलेन्स में बैठकर डायग्नोस्टिक सेन्टर चल पड़े। वहाँ जब मरीज भीतर चला गया तो दरवाजे के बाहर बेन्च पर बैठते ही मैने रीता जी से पूरा वाकया पूछ लिया। ….लोगों की हलचल अबतक प्रायः शान्त हो चुकी थी…। उन्होंने बताया कि साढ़े नौ बजे खाना खाने के बाद लेटते समय इनका बायाँ हाथ तेजी से काँपने लगा था और कुछ देर के लिए अनियन्त्रित सा हो गया था। कुछ मांसपेशियाँ शिथिल पड़ गयीं तो चिन्ता हो गयी कि कहीं पूरा बायाँ हिस्सा लकवाग्रस्त तो नहीं हो रहा है। ईश्वर की कृपा से ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है।
मैने कहा कि अब इन्हें कम्प्यूटर पर समय कम देना चाहिए। ब्लॉगरी के कारण ऐसे बेहाल हो जाएंगे तो दोष ब्लॉगरी को जाएगा। रीता जी ने कहा कि इनकी लम्बे समय तक बैठने की आदत नहीं छूट रही है। मैने पूछा कि ये तो रात में जल्दी सो जाते हैं फिर आज कैसे यह सब हो गया। वे बोलीं- जल्दी भले ही सो जाते हैं लेकिन अचानक तीन बजे नींद खुल जाय तो भी तुरन्त कम्प्यूटर पर पहुँच जाते हैं। ऑफिस से आने के बाद पहले लैप-टॉप ऑन होता है तब बाकी कोई काम। सुबह भी जल्दी उठकर उसी काम में लग लेते हैं। बगल में चिन्ताग्रस्त बैठे ‘बाबूजी’ ने बताया कि डेस्क टॉप के साथ लैपटॉप था ही, अब पामटॉप भी आ गया है, और मोबाइल से भी पोस्टिंग होती रहती है।
“परमानेण्ट ऑन लाइन विदाउट ब्रेक।” यह हाल तो हम इनका ऑउटपुट देखकर ही जान जाते हैं। उनके ऑफिस के एक सज्जन ने बताया कि आज ऑफिस में इन्हें ब्लॉगिंग को कम करने की सलाह दी गयी। सलाह देने वाले जबतक कमरे में थे तबतक तो इन्होंने गले में पट्टा डालकर सिर ऊँचा उठाये सबकी बात सुनने का धैर्य दिखाया लेकिन जैसे ही सबलोग चले गये , इन्होंने पट्टा निकाल के धर दिया और कम्प्यूटर पर फिर से झुक गये। फिर वही फीडरीडर खोलकर पढ़ना और टिप्पणी करना। …अब जो यह खुद ही बताते हैं कि ब्लॉग पढ़ने की चीज है तो करके दिखाएंगे ही…। लेकिन मुझे अब यह डर है इनकी हालत से भाई लोग यह न मान बैठें कि ब्लॉग वास्तव में पढ़ने की चीज नहीं है…। बड़े खतरे हैं इस राह में…।
रीता जी कहा कि हम सोच ही नहीं पाते कि यह (ब्लॉगरी) न करें तो करें क्या? यह तमाम दूसरे कामों से बेटर एन्गेजमेन्ट है। मुझे तो अबसे पाँच साल बाद की चिन्ता हो रही है। अभी तो रेलवे वाले इन्हें कुछ काम टिका देते हैं जिसमें अच्छा समय निकल जाता है। लेकिन बाद में क्या करेंगे यह सोचकर चिन्ता होती है…।
इसी चर्चा के बीच श्रीमन् स्कैनिंग रूम से मुस्कराते हुए अपने पैरों पर चलते हुए बाहर आये और एम्बुलेन्स में जाकर बैठ गये। दाहिने हाथ में लगे इन्जेक्शन के स्थान पर लगे रूई के टुकड़े को सम्हाले हुए ज्ञान जी को अकेला पाकर मैंने पूछ लिया कि इजाजत दें तो आपको कल ब्लॉगजगत के कठघरे में खड़ा किया जाय। उन्होंने मुझे मना नहीं किया तो मैने झटसे उनकी दो तस्वीरें उतार लीं। एक तस्वीर में इन्जेक्शन के दर्द को सम्हालते हुए और दूसरी में यह दिखाते हुए कि उन्हें कुछ खास नहीं हुआ है। सब कुछ ठीक ठाक है। यह सब रात साढ़े ग्यारह बजे की बात है।
रात भर अस्पताल में डॉक्टर की देखभाल में रहना है। मैने पूछा- लैप टॉप घर छोड़ आये क्या? कैसे कटेगी रात? रीता जी ने बताया कि चिन्ता की कोई बात नहीं है। कुछ बुक्स साथ में ले आये हैं।
अब आपलोग उन्हें जो कहना चाहें कहें। मैंने तो कह दिया कि अब तो बस करिए ज्ञानजी..…।
(सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी)
M VERMA
मई 25, 2010 @ 05:19:08
स्वास्थ्य तो ठीक रखना ही होगा. ब्लागरी को नशा बनाना ठीक नहीं (ये अलग बात है कि मैं खुद एडिक्ट होता जा रहा हूँ)
Arvind Mishra
मई 25, 2010 @ 05:21:37
ओह, सुनकर धक्का सा लगा ,सी टी स्कैन कराना जरूरी है -माईल्ड स्ट्रोक हो सकता है …….मगर ईश्वर करे सब कुछ ठीक हो …वे जल्दी से ठीक हों और फिर से ब्लागरी की कमान थामें !
बी एस पाबला
मई 25, 2010 @ 06:17:07
ओह! गड़बड़ हैमानता हूँ कि पर उपदेश सकल बहुतेरे लेकिन अपना भी ऐसा ही कुछ हाल है :-(नशा तो नहीं है लेकिन समय कुछ अधिक ही दिया जा रहा कम्प्यूटर पर, ब्लॉगिंग को मिलाकर। किया भी क्या जाए? कामकाज के लिए इस पर निर्भरता भी तो बढ़ गई है!ज्ञान जी स्वस्थ हो पुन: अपनी दिनचर्या में मशगूल हों, यही कामना बी एस पाबला
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक
मई 25, 2010 @ 06:31:31
ब्लॉगिंग में बस का क्या काम?बस होना चाहिए नाम!बदनाम जो होंगे तो क्या नाम नही होगा?
Smart Indian - स्मार्ट इंडियन
मई 25, 2010 @ 06:42:41
खबर सुनकर दुःख भी हुआ और सब कुछ ठीक है यह जानकर जान में जान आयी!
Udan Tashtari
मई 25, 2010 @ 06:44:35
अरे, यह क्या हुआ..ईश्वर उन्हें जल्द से जल्द स्वास्थय लाभ दे, यही कामना है. हम उनके पूर्ण स्वस्थ होने की प्रार्थना कर रहे हैं.
सतीश पंचम
मई 25, 2010 @ 07:15:34
अचानक यह खबर सुनकर कुछ असहजता महसूस कर रहा हूँ। सचमुच ब्लॉगिंग बड़ी अजब सी चीज लग रही है। वैसे ज्ञान जी की तबीयत खराब होने में सारा दोष ब्लॉगिंग के मत्थे मढ़ना ठीक न होगा। हम ब्लॉगर हैं इसलिए ब्लॉगरी के नजरिए से देखने की कोशिश कर रहे हैं। जिस पद पर ज्ञान जी हैं और जिस तरह का उन पर काम का दबाव रहता होगा उसके बारे में हम लोग केवल कल्पना ही कर सकते हैं शायद। वैसे पहले भी एक दो जगह उन्होंने चैकिंग के दौरान, काम के दौरान विजिट आदि के समय होने वाली शारिरिक व्याधियों के बारे में बताया भी है। काम का दबाव तो रहता ही होगा। इसलिए ब्लॉगिंग को ही इसके लिए पूरी तरह जिम्मेदार मानना मैं ठीक नहीं मानता। ईश्वर उन्हें जल्द से जल्द स्वास्थय लाभ दे।
प्रवीण त्रिवेदी ╬ PRAVEEN TRIVEDI
मई 25, 2010 @ 07:22:42
अरे हम तो घबरा ही गए थे !खैर !
दिनेशराय द्विवेदी Dineshrai Dwivedi
मई 25, 2010 @ 07:42:12
ज्ञान जी स्वास्थ्यलाभ कर घर लौंटें। अभी उन से कुछ कहना नहीं चाहता। मुझे नहीं लगता कि यह कंप्यूटर के उपयोग अथवा ब्लागीरी के कारण है। मैं भी कम से कम छह से आठ घंटे कम्प्यूटर पर बिताता हूँ। भला हो वकालत का कि अदालत के वक्त में कंप्यूटर साथ नहीं होता।
Ghost Buster
मई 25, 2010 @ 08:14:46
shocked to know about it. anxious to see him again in his usual self. all my good wishes are with him.
उन्मुक्त
मई 25, 2010 @ 09:16:02
आशा है, ज्ञान जी जल्दी चिट्ठाकारी में लौटेंगे।
Raviratlami
मई 25, 2010 @ 09:19:45
ज्ञान जी के अच्छे स्वास्थ्य के लिए शुभकामनाएँ.वैसे, यह समस्या ब्लॉगरी की अधिकता के कारण नहीं होनी चाहिए. ब्लॉगरी की अधिकता से बहुत हुआ तो कार्पेल टनल सिंड्रोम या रिपिटिटिव स्ट्रेस इंजरी हो सकती है. वैसे मैं कोई मेडिकल एक्सपर्ट नहीं हूँ, मगर मेरे विचार में ऐसी समस्या नसों में विविध कारणों से रक्त प्रवाह में अवरोधों से होती है.
विनोद शुक्ल-अनामिका प्रकाशन
मई 25, 2010 @ 09:27:47
”जान है तो जहान है" और "पहले स्वास्थ्य फिर ब्लाग" इस बात को तो सभी मानेंगे। हम सबकी विनती है आदरणीय ज्ञान जी से कि वे अपना खयाल रखें। वे हम सबके लिये ज्यादा महत्वपूर्ण हैं। ईश्वर उन्हें शीघ्र स्वस्थ करे।
राजकुमार सोनी
मई 25, 2010 @ 09:36:34
क्या ज्यादा ब्लागिंग करने से भी इस तरह का संकट पैदा हो जाता है। सचमुच यह तो चिन्ता में डालने वाली खबर है। ज्ञानजी जल्द से जल्द स्वस्थ हो, यही शुभकामनाएं।
रचना
मई 25, 2010 @ 09:43:11
my good wishes for him health is most important he needs to take care
AlbelaKhatri.com
मई 25, 2010 @ 09:56:51
अच्छे स्वास्थ्य के लिए हार्दिक शुभ कामनायें ……………जल्द आरोग्य पायें………..
Shiv
मई 25, 2010 @ 10:02:04
यह दुर्भाग्यपूर्ण है.लेकिन तबियत खराब होने के कारण के रूप में केवल क्या ब्लागिंग ही है? मुझे लगता है हम बहुत जल्दी नतीजे पर पहुँच गए. ब्लागिंग में कितना समय दिया जाना चाहिए, यह विचार करने का विषय है लेकिन जब भी तबियत खराब हो तो ब्लागिंग को दोष देना कितना ठीक है? वे जल्द ही स्वस्थ हों, यही कामना है.@रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'मयंक जी, बीमार होने में कैसी बदनामी? आपके कितने ब्लॉग हैं? आप ब्लागिंग में कितना समय देते हैं? आप जितना लिखते हैं और टिप्पणियां करते हैं उससे तो मुझे यही लगता है कि अगर बीमारी का कारण केवल ब्लागिंग ही है तो फिर आपकी भी तबियत खराब होनी चाहिए थी. नहीं? या फिर हिमालय पर रहने के कारण आप बचपन में ही खोज-खाज के संजीवनी बूटी पी लिए हैं? कहाँ और किस बात पर क्या कमेन्ट किया जाना चाहिए, उसकी तमीज है आपको?
seema gupta
मई 25, 2010 @ 10:08:22
ज्ञान जी के अच्छे स्वास्थ्य के लिए शुभकामनाएँregards
राम त्यागी
मई 25, 2010 @ 10:18:01
अरे ज्ञान जी को क्या हो गया …जानकारी के लिए आभारचलो ज्ञान जी के स्वास्थ्य लाभ के लिए कामना करता हूँ. वे जल्दी से ब्लॉग्गिंग पर उतरें
Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय)
मई 25, 2010 @ 11:38:17
I am shocked to hear this news but I salute his passion for blogging and admire him for that. Get well soon Gyan ji… Looking forward to read more 'Mansik Halchal'
yunus
मई 25, 2010 @ 11:51:12
ज्ञान जी ऊर्जावान व्यक्ति हैं। उन्हें कुछ नहीं हुआ। बस नियमित जांच करवाते रहें। शुभकामनाएं।
सतीश चंद्र सत्यार्थी
मई 25, 2010 @ 13:30:45
आप तो एकदम से हडबडा ही दिए थे…खैर…ज्ञान चचा को अभी कुछ नहीं होने वाला..इतने लोगों की दुआएं जो साथ हैं..उनके शीघ्र स्वास्थ्यलाभ की कामना है…
Nishant
मई 25, 2010 @ 13:32:22
This too shall pass.वापस सब अच्छा हो जायेगा.
Sanjeet Tripathi
मई 25, 2010 @ 14:05:18
अरे यह क्या हुआ ज्ञान दद्दा को?उम्मीद करता हूं कि जल्द ही स्वस्थ्य हों, यही प्रार्थना है।और हां जैसा कि उपरोक्त टिप्पणियों से परिलक्षित हो रहा है कि महज ब्लॉगिंग या कंप्यूटर पर काम करना ही एक कारण है, तो मै ऐसा नहीं सोचता। उम्र के साथ कामकाज का तनाव यह सब भी कारक हैं।आशा है जल्द ही स्वस्थ्य हो लौटेंगे वे।
राज भाटिय़ा
मई 25, 2010 @ 14:18:35
अरे ज्ञान जी सुन कर अच्छा नही लगा कि आप आप अचानक अस्पताल पहुच गये, चलिये अब जल्दी से ठीक हो कर घर आये, ब्लांगिग तो सभी करते है, लेकिन सारा समय इस पर देना ठीक नही, मै भी दो तीन घंटो से ज्यादा कभी नही बेठता, ओर हर १५, २० दिनो बाद एक दो सप्ताह की छुट्टी भी मारता हुं, ब्लांगिग ही सब कुछ नही घर परिवार ओर नोकरी पर भी ध्यान दे….अब जल्दी से स्वास्थ्य लाभ प्रापत कर के घर आये, हमारी शुभकामनाये.सिद्धार्थ जी आप का धन्यवाद इस खबर को हम तक पहुचाने के लिये
rashmi ravija
मई 25, 2010 @ 14:29:07
ज्ञान जी,की तबियत के विषय में सुनकर सचमुच बहुत चिंता हुई….वे शीघ्र ही स्वस्थ होकर ,ब्लॉग की दुनिया में लौटें…..उनकी इस बीमारी का सम्बन्ध भले ही , ब्लॉग्गिंग से ना हो….पर थोड़ा बहुत असर तो ब्लॉग्गिंग से पड़ता ही है….सबलोगों के लिए ये एक wakeup call होनी चाहिए…अपनी नींद ,वाक पर कोई कम्प्रोमाइज़ ना करें .
shikha varshney
मई 25, 2010 @ 14:45:14
ये ब्लोगिंग जो न करा दे सो कम है 🙂 पर स्वास्थ्य सर्वोपरि होना चाहिए.Get Well Soon ज्ञान जी !
कविता वाचक्नवी Kavita Vachaknavee
मई 25, 2010 @ 14:58:47
ज्ञान जी के शीघ्र स्वास्थ्यलाभ हेतु शुभकामनाएँ।
कविता वाचक्नवी Kavita Vachaknavee
मई 25, 2010 @ 15:02:04
ज्ञान जी के शीघ्र स्वास्थ्यलाभ हेतु शुभकामनाएँ।
मसिजीवी
मई 25, 2010 @ 16:38:06
ज्ञानजी को स्वास्थ्य लाभ हेतु शुभाकांक्षाएं
बेचैन आत्मा
मई 25, 2010 @ 17:06:57
सारा दोष ब्लॉगरी को देना ठीक नहीं.सुबह एक घंटे का मार्निंग वाक पर्याप्त है ब्लागरी के दोष दूर करने के लिए…एक फ़िल्मी गीत याद आ रहा है ..ये न होता तो कोई दूसरा गम होना था मैं तो वो हूँ जिसे हर हाल में रोना था ये तेरे प्यार का गम, एक बहाना है सनमअपनी किस्मत ही कुछ ऐसी थी कि दिल टूट गया…ब्लॉगरी को दोष देना भी एक बहाना ही है. कितने लोग हैं जिन्हें साहित्य में रूचि नहीं है लेकिन कम्प्युटर पर सारी-सारी रात खेल खेलने में ही व्यस्त रहते है…ज्ञान जी के शीघ्र स्वास्थ्यलाभ हेतु शुभकामनाएँ।
संजय बेंगाणी
मई 25, 2010 @ 18:03:58
अरे हमें तो पता ही चला. दद्दा जल्द स्वस्थ हो यही कामना है.
Mired Mirage
मई 25, 2010 @ 18:37:11
ज्ञानजी, जल्दी ही बिल्कुल स्वस्थ घोषित करके हस्पताल से घर भेज दिए जाएँ, यह कामना करती हूँ। नियमित स्वास्थ्य चेक अप करवाते रहें और काम में तो समस्याएँ होती ही होंगी ब्लॉगिंग में किसी भी बेकार के लफड़े में पड़ परेशानी न मोल लें। परिवार व अपने स्वास्थ्य को सबसे अधिक महत्व दें। मानसिक हलचल सब तक लाते रहें। हमें पढ़ें और स्वयं को पढ़वाते रहें। रीता जी से अनुरोध है कि दोबारा किसी लफड़े/ पचड़े में पड़ने से रोकें। दोनों को शुभकामनाओं सहित,घुघूती बासूती
रंजना
मई 25, 2010 @ 18:46:19
अरे ……ईश्वर ज्ञान भैया को शीघ्र स्वस्थ लाभ कराएँ….
माधव
मई 25, 2010 @ 19:03:49
Just One sentenceGeTTTTTTTTTTTTTTTTTTTweLLLLLLLLLLLLLLLLLLLLLLSooNNNNNNNNNNNNNNNNNNNNNNNNN
दिवाकर मणि
मई 25, 2010 @ 19:09:53
ज्ञान जी शीघ्र स्वस्थ हों एवं शतायु होंवे, ईश्वर से यही विनती है।
अनूप शुक्ल
मई 25, 2010 @ 19:25:33
ज्ञानजी चकाचक हैं। जल्द ही घर वापस होंगे और सक्रिय भी।पोस्ट के शीर्षक से लगा कि ज्ञानजी ने फ़िर कुछ ऐसा लिख मारा जिससे हड़कम्प मच गया।ज्ञानजी के बीमारी फ़ोटू अपने पास रखो भैया सिद्दार्थ यहां तो उनकी मुस्कराती वाली फोटो फ़ोटो लगाओ।उनकी तबियत गड़बड़ हुई उसका कारण ब्लॉगिंग में काहे खोजते हो भाई! और भी कुछ कारण हो सकते हैं। इसी बहाने अच्छी तरह जांज हो जायेगी।ज्ञानजी के लिये खूब सारी शुभकामनायें। वे जल्दी से स्वस्थ होकर वापस आयें!
अनूप शुक्ल
मई 25, 2010 @ 19:26:43
*जांच! और शास्त्रीजी के कमेंट के बारे में हम फ़िलहाल कुछ न कहेंगे।
अजय कुमार झा
मई 25, 2010 @ 19:51:39
ओह दुखद और चिंतित करने वाली बात है ये तो । साथ ही सबके लिए चेतावनी जैसी भी । हमें तो लगता है कि अभी से सुधर लें तो ठीक रहेगा , वैसे औफ़िस के समय के बाद ही इधर रुख करना होता है वे जल्द स्वस्थ हों यही कामना है
प्रवीण पाण्डेय
मई 25, 2010 @ 19:52:38
आदरणीय ज्ञानदत्त जी शीघ्र ही स्वस्थ हों, ईश्वर से यही प्रार्थना है ।ब्लॉगिंग के कारण यह नहीं हुआ लगता है । हम तो अपना ऑफिस अपने लैपटॉप में रखते हैं । अब ऑफिस बाहर कैसे निकालेंगे ।
गिरीश बिल्लोरे
मई 25, 2010 @ 20:09:43
आदरणीय ज्ञानदत्त जी के का स्वास्थ्य खराब जान कर बेहद तनाव में हूं. रेल विभाग की नौकरी को क़रीब से जनता हूं अक्सर तेज़ कामकाजी लोगों से यह विभाग अटा पढ़ा है, हमारे उर्ज़ा वान ज्ञानदत्तजी शीघ्र स्वस्थ्य हों ईश्वर से विनम्र प्रर्थी हूं
प्रवीण शाह
मई 25, 2010 @ 20:47:42
…आदरणीय ज्ञानदत्त पान्डेय जी को शीघ्र स्वास्थ्यलाभ की शुभकामनायें, ब्लॉगिंग एक हॉबी की तरह ही है…आत्मतुष्टि के लिये करते हैं हम लोग इसे…अब महज इस हॉबी के कारण स्वास्थ्य खराब होता है यह मानना जायज नहीं… आखिर आईटी सेक्टर के लोग चौबीसों घंटे कंप्यूटर पर काम करते हैं या नहीं… ज्ञान जी की पिछली पोस्टों से पता चला कि वे Cervical Spondylosis/Spondylitis से पीड़ित रहते हैं… शायद यही वजह होगी इस घटना की भी…मुझे तो उनकी अगली पोस्ट का इंतजार है…
Mansoor Ali
मई 25, 2010 @ 21:19:51
शीघ्र स्वास्थ्य लाभ के लिए शुभ कामनाए.-mansoorali hashmi
Vivek Rastogi
मई 25, 2010 @ 21:30:36
ब्लोगिंग किसी नशे से कम भी नहीं, हमारा भी यही हाल हो रहा है, ओफ़िस टाईम छोड़ इसी में लगे रहते हैं, अब तो कुछ करना ही पड़ेगा।ज्ञानजी के स्वास्थ्य होने के लिये शुभकामनाएँ।
डा० अमर कुमार
मई 25, 2010 @ 21:46:48
दॅ एण्ड इस वेल.. तो भईया ऑल इज़ मे नॉट बी वेल !जरा मेरी भी डॉयग्नोसिस पर विचार कर लिया जाये,यह वाकया सेरेब्रो-वॅस्कुलर आर्टरीज़ की ट्राँज़ियेन्ट मॅल-जक्स्ट्रापोजीशनिंग के चलते हुआ है,भाई साहब को सी.टी. सर्वाकइल स्पाइन C3,C4,C5 के लेवेल पर करवा लेना चाहिये !शास्त्रीजी के कमेंट के बारे में हम भी फ़िलहाल कुछ न कहने की स्थिति में नहीं हैं, सिवाय इसके कि हर जगह तुकबन्दी की जोकरई नहीं सोहती !
dhiru singh {धीरू सिंह}
मई 25, 2010 @ 22:10:18
अभी ग्यान जी क बज्ज देखा . जल्दी से ठीक हो पूरी तरह से यही ईश्वर से प्रार्थना है . अगर ब्लाग से बीमारी होती तो मै तो कब का निबट लिया होता
K M Mishra
मई 25, 2010 @ 22:43:41
ल्यो काका आप तो हमको डरा ही दिये थे । शुक्र है कि सब ठीक ठाक लग रहा है ।इधर मुझे भी रीढ़ की हड्डी में दर्द उठने लगा है । कंप्यूटर पर देर तक बैठना खतरनाक तो है ही ।
अमरेन्द्र नाथ त्रिपाठी
मई 25, 2010 @ 22:45:01
अस्वस्थ होने के समाचार ने दुखी किया ! स्वास्थ्य प्राथमिक है ब्लोगिंग नहीं ! देव जी के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूँ !
राजीव तनेजा
मई 26, 2010 @ 01:17:46
ज्ञान जी आप शीघ्र…अति शीघ्र ..स्वास्थ्य लाभ कर कर घर लौटें
दीपक 'मशाल'
मई 26, 2010 @ 02:14:07
मैं तो कुछ और ही समझ कर पोस्ट पढ़ने नहीं आया था.. अभी पूरी पोस्ट पढ़ी तो माजरा समझ आया.. सच कह रहे हैं आप, श्री ज्ञान जी को स्वास्थ्य का ख्याल पहले रखना चाहिए, निवेदन है कि कम से कम नींद तो पूरी लें सर… श्री ज्ञानदत्त सर के शीघ्र स्वास्थ्यलाभ के लिए शुभकामनाएँ.. आपका आभार.
शेफाली पाण्डे
मई 26, 2010 @ 15:24:39
gyan ji ke swasthy ke liye shubkkaamnaen….
चौपटस्वामी
मई 26, 2010 @ 23:47:37
अरे! ज्ञान जी के दुश्मनों की तबियत नासाज होने की खबर थी. ये मयंक जी की तबियत को अचानक क्या हुआ .पं. सिद्धार्थशंकर त्रिपाठी ने पोस्ट के शीर्षक से अनायास कुछ संकेत ऐसे दे दिए कि जनता यह साबित करने पर तुल गई कि जो हुआ है उसके पीछे ब्लॉगिंग या ज्यादा ब्लॉगिंग है. ब्लॉगिंग जीवन का बहुत छोटा हिस्सा है,समूचा जीवन नहीं. और भी गम हैं जमाने में ’ब्लॉगिंग’ के सिवा. जीवन ऐसे ही धूप-छांहीं रंग दिखाता है.ज्ञान जी जल्द स्वस्थ हों और फिर से हिंदी ब्लॉगिंग को अपने सतरंगे लेखन से गुलज़ार करें.फोटो नम्बर दो में एंबुलेंस में आड़े आराम फ़र्माते और सामने की ओर देखते ज्ञान जी के चेहरे में एक अजब तरल स्निग्धता मुझे दिख रही है. आपको भी दिख रही है ?कॉमरेड सिद्धार्थ त्रिपाठी स्वास्थ्य-लाभ के आंखों देखे हाल वाला दूसरा सचित्र स्वास्थ्य बुलेटिन शीघ्र जारी करें.
anitakumar
मई 27, 2010 @ 02:52:40
ज्ञान जी सही सलामत लौट आये जान कर अच्छा लगा। वैसे आप को नहीं लगता कि ज्ञान जी ने जो फ़ोटो अपने ब्लोग पर लगा रखी है उस से ये एम्बुलेंस वाली फ़ोटो ज्यदा अच्छी लग रही है…।:)
ताऊ रामपुरिया
मई 27, 2010 @ 08:23:57
yah jankar sukhad laga ki sab kuchh samanya hai, shighra swasthya labh kare yahi prarthana hai. shubhakamanae.ram ram