लगता है कल ही की बात है
जब हम थे कुआँरे
निपट बेचारे
फिर बारात सजाकर
गये थे दूल्हा बने
सबने नाच-नाच कर जश्न मनाया
ससुरालियों ने हमें खूब बनाया
लेकिन हमें खूब भाया
रचना से सृजन
सुनहरा दौर शुरू हुआ
पहले बेटी, फिर बेटा
वागीशा, सत्यार्थ
उसके बाद सत्यार्थमित्र
फिर उसका पुस्तक प्रकाशन
देखते ही देखते
मैं तो सर्जक हो चला
अचानक नहीं, शनै: शनै:
आज ग्यारह साल पूरे हो गये
बेटे को कुछ नहीं चाहिए
बस आइसक्रीम
माँ के हाथों
बेटी अपने में मगन
छूना चाहे गगन
सब कुछ अच्छा सा
और क्या?
सबने स्नेह बरसाया
ईश्वर तेरा धन्यवाद
(सिद्धार्थ)