वन-डे ने जब टेस्ट को, टक्कर में दी मात।
ट्वेन्टी-ट्वेन्टी ने किया, तब आकर उत्पात॥
तब आकर उत्पात मचा, डी.एल.एफ़ कप में।
जुटे धुरंधर देश-देश के नाहक गप में॥
धन-कुबेर इस मेले की रौनक बढ़वाते।
फ़िल्मी तारे आकर टी. आर.पी. चढ़ाते॥
चीयर-लीडर थक गये, नाच-नाच बेहाल।
चौके-छक्के पड़ रहे भज्जी हो गये लाल॥
भज्जी हो गये लाल, दनादन हार गये जब।
जीना हुआ मुहाल, सन्त को मार गये तब॥
सुन सत्यार्थमित्र, ये खेल है गज़ब निराला।
भाई के हाथों भाई को पिटवा डाला॥
Udan Tashtari
अप्रैल 29, 2008 @ 02:24:00
बहुत खूब!!
हर्षवर्धन
अप्रैल 29, 2008 @ 08:02:00
क्या बात है।
इष्ट देव सांकृत्यायन
अप्रैल 29, 2008 @ 14:56:00
बहुत खूब.
Shiv Kumar Mishra
मई 06, 2008 @ 10:15:00
बहुत खूब…वाह!